Type: AVANADDHA VADYA
Material: धातु, चमड़ा
एक साथ जुड़े, पशु चर्म से ढके हुए लोहे की पट्टियों के टुकड़ों से निर्मित एकमुखी पात्र। इसे लकड़ी की दो छड़ियों से बजाया जाता है। मध्य प्रदेश की 'हो' जनजातियों द्वारा उपयोग किया जाता है।
Material: धातु, चमड़ा
यह ढोल की एक जोड़ी है। धातु के दो गोलार्ध कटोरे से मिलकर बनी होती है। मोटा चर्मपत्र, चमड़े की पट्टियों द्वारा फैला हुआ होता है। दोनों असमान आकार के होते हैं, एक ऊंची तान वाला छोटा और एक नीची तान का बड़ा वाला। इन्हें या तो ज़मीन पर रखा जाता है या फिर कमर पर बांधा जाता है। डंडियों से इसे एक साथ बजाया जाता है। उत्सव के अवसरों पर 'शहनाई' के साथ संगत में प्रयुक्त होता है।
Material: लोहा, चमड़ा, लकड़ी
कीलों से जुड़ी लोहे की पट्टियों से बना एक बड़ा, गहरा अर्धगोलाकर पात्र। बड़ा मुख भैंस की खाल से ढका होता है और नीचे एक कुंडा और छिद्रों के जरिए एक चमड़े की रस्सी द्वारा किनारे से बँधा होता है। लकड़ी की दो छड़ियों से बजाया जाता है। सरायकेला छऊ नृत्य में उपयोग किया जाता है।