केरल

sadhya

सद्या

केरल का पारंपरिक भोजन सादा और मुख्यतः उस राज्य में बहुलता से उपलब्ध सब्ज़ियों और फलों से बनाया जाता है। कई सारे खाद्य पदार्थ आयुर्वेद के ज्ञान के आधार पर बनाए जाते हैं जिसमें पाचन के लिए लाभदायक मसाले जैसे कि अदरक, मिर्च और करी पत्तों का प्रचुर मात्रा में उपयोग होता है। सद्या एक शाकाहारी भोजन या दावत है जिसमें ऐसे कई खाद्य पदार्थ हैं जो दावत में रंग जोड़ देते हैं। सामान्यतः केले के पत्ते पर परोसा जाने वाला, सद्या, विवाहों, जन्मदिनों एवं अन्य त्योहारों, विशेषतः ओणम पर खाया जाने वाला शानदार दोपहर का भोजन है। यह पूर्णतः एक जैव भोजन है और यही बात इसे अन्य भोजनों से भिन्न बनाती है। सभी खाद्य पदार्थ उन सब्ज़ियों से बनाए जाते हैं जो केरल में आसानी से उगती हैं और उपलब्ध हैं। सद्या का मुख्य खाद्य पदार्थ केरल रोज़ मट्टा नामक विशेष किस्म का चावल है। इसे अन्य अत्यंत स्वादिष्ट सालनों और व्यंजनों के साथ परोसा जाता है। सद्या में पच्चीस से लेकर तीस व्यंजन शामिल हो सकते हैं। इन विभिन्न व्यंजनों को पाँच श्रेणियों में बाँटा जा सकता है:

  1. सालन :
    1. परिप्प- तुवर दाल या मूंग दाल से बना एक तरल सालन।
    2. सांबार- सांबार दक्षिण भारत के तरल दाल व्यंजनों में से सबसे अधिक लोकप्रिय है। यह बहुत पौष्टिक है और स्थानीय सब्ज़ियों को मिलाकर बनाया जाता है। इसमें इमली, धनिया की पत्ती, प्याज़ और मिर्च डाली जाती है और इसे चावल के साथ खाना सबसे अच्छा होता है।
    3. रसम- रसम काली मिर्च, लाल मिर्च और अन्य मसलों सहित बना एक हल्का मसालेदार खट्टा शोरबा है। इसे सामान्यतः भोजन के अंत में खाया जाता है क्योंकि यह पाचन में सहायक होता है।
  2. संलग्न व्यंजन-
    1. अवियल- अवियल सद्या के व्यंजनों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण व्यंजन है। यह कद्दू, सहजन, कच्चे केले, सेम और कसे हुए नारियल जैसी अनेक सब्जियों का मिश्रण है। इसमें हल्दी पाउडर, दही और हरी मिर्च भी होती है।
    2. एरिशेरी- यह कच्चे केले, जिमीकंद या कद्दू और भुने नारियल से बनाया जाता है।
    3. कालन-जिमीकंद, कच्चे केले, छाछ और पिसे नारिया का मिश्रण।
    4. ओलन- अरहर, नारिया के दूध और कद्दू से बनता है।
    5. तोरन- यह एक सूखा व्यंजन है जो कसे नारियल के साथ सेम या पत्ता गोभी से बनता है।
    6. कूट्टकरी- यह दालों, स्थानीय सब्ज़ियों और कसे और भुने नारियल से बना एक विशेष व्यंजन है।
    7. पच्चडी- यह दही और नारियल से बना एक सादा व्यंजन है जिसमें खीरा, कच्चा आम, चुकंदर या अनन्नास में से एक डाला जाता है।
  3. चिप्स और पप्पड़म
    1. पप्पड़म- यह बेसन से बना होता है और कुरकुरा होता है।
    2. उप्पेरि- उप्पेरि गहरे तले हुए व्यंजन होते हैं जो दो या तीन प्रकार के हो सकते हैं। केले के चिप्स और गुड़ लेपित केले के चिप्स इनमें से दो हैं जो परोसे जाते हैं।
  4. अचार
    1. अचार-आम का अचार, नींबू का अचार, और पुल्ली इंजी (इमली, गुड़ और मसालों से बनी एक प्रकार की चटनी)
  5. पायसम और प्रधमन(मिष्ठान)
    1. पाल अडा पायसम- पाल अडा पायसम दूध और चीनी से बना मिष्ठान है। इसकी मुख्य सामग्री पायसम के लिए विशेष रूप से बने अदा, अथवा छोटे चौकोर आकार के चावल के टुकड़े होते हैं।
    2. अडा प्रधमन- इसमें अडा ही मुख्य सामग्री होती है परंतु इसे गुड़ और नारियल के दूध से बनाया जाता है।

सद्या की उत्पत्ति १८वीं सदी में महाराज मार्तण्ड वर्मा के राज्यकाल में हुई। उन्होंने एक बार उन ब्राह्मण पंडितों के लिए एक भव्य भोज का आयोजन किया जो युद्ध में मारे गए सभी लोगों के लिए प्रायश्चित के रूप में, लगभग नब्बे दिनों से वेदों का पाठ कर रहे थे। 
सद्या ग्रहण करते समय कुछ नियमों हुए शिष्टाचारों का पालन करना आवश्यक होता है।  केले के पत्ते और अन्य सभी खाद्य पदार्थों का स्थान पूर्वनिर्धारित होता है और इन्हें एक विशेष क्रम में रखना आवश्यक होता है।  

 
केले के पत्ते को उसके मुड़े छोर को पूर्व दिशा की ओर करते हुए,  सामान्यतः ज़मीन पर रखा जाता है। केरल के कुछ स्थानों में लोगों के ज़मीन पर अपना स्थान ग्रहण करने से पहले ही, कम से कम, सात व्यंजन परोस दिए जाते हैं। भोजन इस प्रकार से परोसा जाता है कि अचार और केला, केले के पत्ते की बाईं ओर रखे जाएँ और ऊपरी दाईं ओर पर अवियल और उसके बाद तोरन, कूट्टकरी, एरिशेरी, ओलन और पच्चडी रखी जाती हैं।  


चावल के बाद सबसे पहले परिप्प परोसा जाता है जो घी के साथ खाया जता है।  इसके बाद सांबार परोसा जाता है।  चावल के साथ मिलाकर, सांबार किसी भी अन्य व्यंजन, जैसे कि अवियल या तोरन के साथ खाया जा सकता है।   
भोजन के बीच में अलग-अलग प्रकार के पायसम परोसे जाते हैं।  इनमें सामान्यतः पल अडा पायसम और अड़ा प्रधमन परोसे जाते हैं। कई लोग मिठास को संतुलित करने ले लिए केले के पत्ते में पायसम के साथ पप्पड़म खाना पसंद करते हैं। 
कई क्षेत्रों में अच्छे पाचन के लिए छाछ को एकदम बाद में परोसा जाता है।  भोजन समाप्त होने के बाद केले के पत्ते को अपने से दूर रखकर मध्यशिरा से मोड़ने का परामर्श दिया जाता है।